एमटीएमएच द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्तन कैंसर जागरूकता माह पर विशेष”

 

स्तन कैंसर अब है कार्रवाई का समय – डॉ तमोजित चौधरी

 

जमशेदपुर : स्तन कैंसर जागरूकता माह एक अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान है और जिसे 1990 के दशक से हर साल अक्टूबर माह में मनाया जाता है। इसे ‘पिंक अक्टूबर’ भी कहा जाता है। क्योंकि लोग स्तन स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए गुलाबी रंग अपनाते हैं और गुलाबी रिबन लगाते हैं। भारत में स्तन कैंसर महिलाओं में सबसे आम प्रकार का कैंसर है। ग्लोबोकैन के आंकड़ों के अनुसार 2022 में भारतीय महिलाओं में स्तन कैंसर के 1,92,020 नए मामलों का पता चला और जिनमें से लगभग 98,337 रोगियों की इस घातक बीमारी से मृत्यु हो गई। एमटीएमएच का डेटा भी चिंताजनक है। 2019-20 में 263 नए स्तन कैंसर के मामले दर्ज किए गए थे और जो पिछले साल बढ़कर 426 हो गए। सिर्फ जमशेदपुर स्थित एमटीएमएच में प्रतिदिन 1 से अधिक नया मामला दर्ज हो रहा है। वहीं स्तन कैंसर के जोखिम कारकों में महिला होना, जल्दी मासिक धर्म की शुरुआत, देर से रजोनिवृत्ति, संतानहीनता, शराब का सेवन, मोटापा, हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी का उपयोग, छाती पर विकिरण का संपर्क और आनुवंशिक उत्परिवर्तन शामिल हैं। स्तन कैंसर का पारिवारिक इतिहास बीआरसीए 1 और 2 (ब्रेस्ट कैंसर जीन्स) में उत्परिवर्तन के कारण होता है और जो भारतीय महिलाओं में स्तन कैंसर के लगभग 10-15 प्रतिशत मामलों में पाए जाते हैं। बीआरसीए 1 और 2 जीन में उत्परिवर्तन की जांच के लिए रक्त, लार या गाल के अंदर की कोशिकाओं का नमूना लिया जाता है। स्तन कैंसर के सबसे सामान्य लक्षणों में दर्द रहित, धीरे-धीरे बढ़ने वाली स्तन की गांठ, निप्पल का अंदर धंसना या उससे स्राव, बगल में सूजन या गांठ और स्तन की त्वचा पर अल्सर या लाली शामिल हैं। ज्यादा बढ़ने की अवस्था में खांसी, पीठ दर्द या पेट में दर्द भी देखा जा सकता है। स्तन कैंसर का जल्दी पता लगाने के लिए स्क्रीनिंग मैमोग्राफी सबसे प्रभावी तरीका है। यह प्रक्रिया प्रत्येक स्तन की दो अलग-अलग कोणों से एक्स-रे छवियां लेकर की जाती है। जिससे किसी भी असामान्यता का जल्द पता लगाया जा सके। स्क्रीनिंग मैमोग्राफी की संवेदनशीलता लगभग 75 प्रतिशत और विशिष्टता लगभग 90 प्रतिशत होती है। जिससे यह एक भरोसेमंद निदान तकनीक बनती है। औसत जोखिम वाली महिलाओं को 45 वर्ष की उम्र से वार्षिक मैमोग्राफी करवानी चाहिए और इसे तब तक जारी रखना चाहिए। जब तक उनकी स्वास्थ्य स्थिति ठीक हो और जीवन प्रत्याशा 10 वर्षों से अधिक हो। उच्च जोखिम वाली महिलाओं (जैसे कि बीआरसीए 1 या 2 जीन में उत्परिवर्तन, पारिवारिक इतिहास या छाती पर पहले विकिरण का संपर्क) के लिए मैमोग्राफी की स्क्रीनिंग 25-30 वर्ष की उम्र से ही शुरू की जानी चाहिए। हालांकि ‘स्तन स्व-परीक्षण’ (बीएसई) को नियमित रूप से स्तन कैंसर की स्क्रीनिंग के लिए अनुशंसित नहीं किया जाता। परंतु विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) इस बात पर जोर देता है कि हर महिला को अपने स्तन स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना चाहिए। स्तन कैंसर को 4 चरणों में बांटा जाता है। चरण 1 और 2 को प्रारंभिक चरण माना जाता है। जहां अगर सही समय पर और उचित उपचार किया जाए, तो 80-95 प्रतिशत रोगियों को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। इस चरण में निदान होने पर इलाज की संभावना सबसे अधिक होती है। वहीं चरण 3 और 4 को एडवांस स्टेज कहा जाता है। जहां इलाज करना अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाता है और पूरी तरह से ठीक होने की संभावना कम हो जाती है। हालांकि आधुनिक एंटी-कैंसर उपचार, जैसे कि टार्गेटेड थेरेपी, एंटीबॉडी-ड्रग कॉनजुगेट्स और इम्यूनोथेरेपी के माध्यम से चरण 4 के स्तन कैंसर रोगियों की जीवन प्रत्याशा 5 साल तक बढ़ाई जा सकती है। क्या हम इस रोग को रोक सकते हैं या मृत्यु दर को कमकर सकते हैं? स्तन कैंसर से संबंधित मृत्यु दर को कम किया जा सकता है। यदि हम प्रारंभिक स्क्रीनिंग, समय पर निदान, और मान्यता प्राप्त कैंसर अस्पतालों में उचित उपचार पर ध्यान केंद्रित करें। इस घातक बीमारी से बचने के लिए कुछ जीवनशैली में बदलाव जरूरी हैं। जैसे कि तंबाकू और शराब का सेवन न करना, स्वस्थ शारीरिक जीवनशैली बनाए रखना, मोटापे से बचना और ताजे फल और सब्जियों का सेवन करना। स्तन कैंसर के प्रबंधन के लिए जरूरी सभी सुविधाएं, जैसे मैमोग्राफी के साथ टोमोसिंथेसिस, कीमोथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी, एंडोक्राइन थेरेपी, सर्जरी और विकिरण (रेडिएशन) जमशेदपुर स्थित मेहरबाई टाटा मेमोरियल अस्पताल (एमटीएमएच) में उपलब्ध हैं। इन सेवाओं का समय पर उपयोग करने से न केवल स्तन कैंसर के निदान और उपचार में मदद मिलती है। बल्कि मृत्यु दर को भी प्रभावी ढंग से कम किया जा सकता है।

Related posts